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प्राचीन योगिक शुद्धि क्रियाएं: 6 प्रकार के षट्कर्म से करें शरीर और मन को स्वच्छ!

प्राचीन योगिक शुद्धि क्रियाएं: 6 प्रकार के षट्कर्म से करें शरीर और मन को स्वच्छ!

प्रस्तावना

योग केवल आसन और प्राणायाम तक सीमित नहीं है। प्राचीन योगशास्त्र में शरीर, मन और ऊर्जा को शुद्ध करने के लिए विशेष तकनीकें बताई गई हैं, जिन्हें षट्कर्म (Shatkarma) कहते हैं। ये छह प्रकार की शुद्धि क्रियाएं शरीर को भीतर से साफ करती हैं, रोगों से बचाती हैं और ध्यान के लिए मन को तैयार करती हैं।


षट्कर्म क्या हैं?

संस्कृत में ‘षट्’ का अर्थ है छह और ‘कर्म’ का अर्थ है क्रिया या अभ्यास
हठयोग प्रदीपिका और अन्य योग ग्रंथों में इन छह क्रियाओं का विस्तार से वर्णन है।
इनका उद्देश्य —

  • शरीर की आंतरिक सफाई
  • इंद्रियों की शुद्धि
  • मानसिक स्पष्टता
  • ऊर्जा प्रवाह का संतुलन


6 प्रकार के षट्कर्म

1. धौति (Dhauti)

उद्देश्य – पेट, गला और पाचन तंत्र की शुद्धि।
प्रकार – वमन धौति, वस्त्र धौति, दन्त धौति आदि।
लाभ – गैस, अपच, एसिडिटी और त्वचा रोगों में लाभकारी।


2. बस्ति (Basti)

उद्देश्य – बड़ी आंत और मलाशय की सफाई।
प्रकार – जल बस्ति, स्थल बस्ति।
लाभ – कब्ज, गैस, आंतों के संक्रमण और पाचन को सुधारता है।


3. नेति (Neti)

उद्देश्य – नासिका मार्ग की शुद्धि।
प्रकार – जल नेति, सूत्र नेति।
लाभ – सर्दी-जुकाम, एलर्जी, साइनस और सांस लेने में समस्या में राहत।


4. त्राटक (Trataka)

उद्देश्य – आंखों और मन की एकाग्रता बढ़ाना।
प्रकार – दीप त्राटक, बिंदु त्राटक।
लाभ – दृष्टि शक्ति, ध्यान क्षमता और स्मरण शक्ति में वृद्धि।


5. नौली (Nauli)

उद्देश्य – पेट की मांसपेशियों और पाचन तंत्र की मजबूती।
लाभ – मेटाबॉलिज्म सुधारता है, पेट की चर्बी घटाने में मदद करता है।


6. कपालभाति (Kapalbhati)

उद्देश्य – फेफड़ों और मस्तिष्क की शुद्धि।
लाभ – फेफड़ों की क्षमता बढ़ाना, रक्त शुद्ध करना, मानसिक स्पष्टता।


षट्कर्म करने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें

  • अनुभवी योग गुरु के मार्गदर्शन में ही अभ्यास करें।
  • खाली पेट या सुबह जल्दी करें।
  • किसी गंभीर रोग या गर्भावस्था में चिकित्सकीय सलाह लें।


षट्कर्म के लाभ

  • पाचन तंत्र, श्वसन तंत्र और रक्त संचार में सुधार
  • मानसिक तनाव और चिंता में कमी
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि
  • ध्यान और आध्यात्मिक साधना के लिए मन की तैयारी


निष्कर्ष

षट्कर्म केवल शारीरिक सफाई नहीं, बल्कि आंतरिक ऊर्जा को संतुलित करने की प्रक्रिया है। इन प्राचीन योगिक शुद्धि क्रियाओं को सही मार्गदर्शन में अपनाकर आप शरीर और मन को गहराई से शुद्ध कर सकते हैं और एक स्वस्थ, शांतिपूर्ण जीवन की ओर बढ़ सकते हैं।


📌 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्र.1: क्या षट्कर्म रोज़ करना चाहिए?
उ. – सभी क्रियाएं रोज़ करने की आवश्यकता नहीं, कुछ सप्ताहिक या मासिक की जाती हैं। गुरु के निर्देश अनुसार करें।

प्र.2: क्या ये क्रियाएं नए व्यक्ति के लिए सुरक्षित हैं?
उ. – हां, लेकिन प्रारंभ में प्रशिक्षित योग शिक्षक की देखरेख में करना चाहिए।

प्र.3: क्या कपालभाति भी षट्कर्म है?
उ. – हां, कपालभाति षट्कर्म का एक प्रकार है, जिसका उद्देश्य मस्तिष्क और श्वसन तंत्र की शुद्धि है।

प्र.4: क्या षट्कर्म से वजन घटाया जा सकता है?
उ. – हां, नौली और कपालभाति जैसे अभ्यास मेटाबॉलिज्म को सक्रिय करके वजन घटाने में सहायक होते हैं।

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